Sunday, November 1, 2009

ये दिल...!!!



एक पंछी उडता है, सपनों के बादल में,

कहीं जाना चाहता है, कहीं रहना चाहता।

इस दुनिया की ज़ुबान में उसे बोलना नहीं आता,

पर इस दिल की बात किसी को कहना चाहता है॥

आसमान भी उसका है, पंख भी हैं उसके,

वो बस संग हवा के बहना चाहता है।

पंछी है, उड चलना काम है उसका,

लेकिन वो ज़रा, अम्बर पर भी चलना चाहता है।।

आँधियाँ कई हैं, तूफान भी बहुत हैं,

पर वो नहीं कहीं भी ठहरना चाहता है।

ततली की रंगत भी है, भवरों की धुन भी है,

फूलों की खुशबू से एक तान चेडना चाहता है॥

सूरज को छूने कि चाहत नहीं उसको,

बस हवा के थपेलों का लुफ्त लेना चाहता है।

हमेशा काम करने का इरादा है इसका,

क्योंकि मौत पर चैन से सोना चाहता है॥

मंज़िल ना मिले! उसकी चाहत ही कहाँ है,

बस राहियों के साथ कुछ गुनगुनाना चाहता है।

इस दुनिया कि जुबान में उसे बोलना नहीं आता,

बस दिल की बात किसी को कहना चाहता है।

कहीं किसी और को सुनना चाहता है,

कहीं जाना चाहता है, कहीं रहना चाहता।।