रेल चलती है, रेल चलती है...
ऐसे की जैसे कोई ज़िन्दगी बढती है,
हर कदम एक मुसाफिर को अपने अन्दर समेटे,
जीवन के पेहलू को दिखलाती चलती है,
हर इंसान मुसाफिर है हमें संग ही चलना है,
प्यार के एहसास को बतलाती चलती है...
रेल चलती है, रेल चलती है...
जात हो पात हो
हर भेद को मिटाती ये चलती है,
इंसान को उसका चेहरा दिखला कर
उसे खुद से रुबरू कराती ये चलती है...
रेल चलती है, रेल चलती है...
पूरब क पश्चिम से से उत्तर का दक्षिण से,
नफरत क प्यार से, इंकार क इकरार से,
एक अनूठा सा मेल कराती येह चलती है,
अंजानी सी राहों में, गुमशुदा सी गलियों में,
सन्नाटे को शोर में, भिख्रे धागों को डोर में बदलती ये चलती है...
रेल चलती है, रेल चलती है...
हर कदम कोई आता है कुछ नगमें सुनाता है,
कोई अपना बनाता है कोई छोड के चला जाता है,
मिलने बिछडने की परिभाषा को समझाती ये चलती है,
मंज़िल पाने तक चलते जाना है, फिर उल्टा मुड के आना है,
बस सफर ही सुहाना है, मंज़िल पर तो रुक जाना है,
सफर ज़िन्दगी है मंजिल नहीं,
बस इतनी सी सोच सम्झाती ये चलती है...
रेल चलती है, रेल चलती है...
रेल चलती है, रेल चलती है...
बस सफर ही सुहाना है, मंज़िल पर तो रुक जाना है,
ReplyDeleteसफर ज़िन्दगी है मंजिल नहीं,
बस इतनी सी सोच सम्झाती ये चलती है...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!