Monday, November 24, 2014

yeh yaadon ke palchin so barish se lagte hain,
kabhi pyaar se tapakte hai, kabhi bauchar se lagte hai,
Kabhi madham hawa sa khush kar jaate hai, kabhi jo andhi toofan se lagte hain,
kabhi bas gila karne ko aate hain, aur kabhi hum unme hi nahaye se lagte hain...
yeh yaadon ke palchin so barish se lagte hain...


woh barish jo ek chaate mein do ko paas laati hai,
aur woh baarish jo car ki khidki se jhakti hai..
woh barish joh kaach pe resham si sarakti hai,
aur woh barish to jo ous ki boondon mein samitti hai..
haan haan wahi barish jisme doston ke saang naachte aur gaate ho,
aur wahi barish jisme chai sang pakode daba ke khate ho,
wahi barish jisme aankhon mein aansu leke chalte ho,
aur haan wahi barish jisme apne haath mein kisi ka haath leke chalte ho..


yeh yaadon ke palchin ussi barish se lagte hain..
kabhi pyaar se tapakte hai, kabhi bbauchar se lagte hai...

Hasrat-e-Ashiqui.......



Hasrat-e-aashiqui aur na jagaiye..
Bahut ho chuke ab khafa.. zara maan jaaiye..
Dekha hai aapko khawabon kai baar..
Ek dafa saamne bhi zara aa jayie...

Hasrat-e-aashiqui aur na jagaiye..

Aapke bina aur reh na payenge..
Kho kar aapko.. hum toh mar hi jayenge..
Aapki ki hi kadar ab humme chahiye..
Kya kare yeh dil, aap hi bataiye...

Hasrat-e-aashiqui aur na jagaiye..

Tere kadmo ke nisha jab bhi aayenge..
Mere kadmo ko woh paas hamesha hi payenge..
Duriyo ki saja hum seh bhi gaye par..
Yun berukhi aapki aur seh na paayenge..

Hasrat-e-aashiqui aur na jagaiye..
Bahut ho chuke ab kafa jara maan jayiye..

Aapki baaton mein jo sukoon hai mila..
Juda karke humse na yu le jaaiye..
Hasrat-e-aashiqui aur na jagaiye...

Friday, July 9, 2010

रेल चलती है, रेल चलती है...

रेल चलती है, रेल चलती है...



ऐसे की जैसे कोई ज़िन्दगी बढती है,

हर कदम एक मुसाफिर को अपने अन्दर समेटे,

जीवन के पेहलू को दिखलाती चलती है,

हर इंसान मुसाफिर है हमें संग ही चलना है,

प्यार के एहसास को बतलाती चलती है...



रेल चलती है, रेल चलती है...



जात हो पात हो

हर भेद को मिटाती ये चलती है,

इंसान को उसका चेहरा दिखला कर

उसे खुद से रुबरू कराती ये चलती है...



रेल चलती है, रेल चलती है...



पूरब क पश्चिम से से उत्तर का दक्षिण से,

नफरत क प्यार से, इंकार क इकरार से,

एक अनूठा सा मेल कराती येह चलती है,

अंजानी सी राहों में, गुमशुदा सी गलियों में,

सन्नाटे को शोर में, भिख्रे धागों को डोर में बदलती ये चलती है...



रेल चलती है, रेल चलती है...


हर कदम कोई आता है कुछ नगमें सुनाता है,

कोई अपना बनाता है कोई छोड के चला जाता है,

मिलने बिछडने की परिभाषा को समझाती ये चलती है,

मंज़िल पाने तक चलते जाना है, फिर उल्टा मुड के आना है,

बस सफर ही सुहाना है, मंज़िल पर तो रुक जाना है,

सफर ज़िन्दगी है मंजिल नहीं,

बस इतनी सी सोच सम्झाती ये चलती है...



रेल चलती है, रेल चलती है...

रेल चलती है, रेल चलती है...




Sunday, November 1, 2009

ये दिल...!!!



एक पंछी उडता है, सपनों के बादल में,

कहीं जाना चाहता है, कहीं रहना चाहता।

इस दुनिया की ज़ुबान में उसे बोलना नहीं आता,

पर इस दिल की बात किसी को कहना चाहता है॥

आसमान भी उसका है, पंख भी हैं उसके,

वो बस संग हवा के बहना चाहता है।

पंछी है, उड चलना काम है उसका,

लेकिन वो ज़रा, अम्बर पर भी चलना चाहता है।।

आँधियाँ कई हैं, तूफान भी बहुत हैं,

पर वो नहीं कहीं भी ठहरना चाहता है।

ततली की रंगत भी है, भवरों की धुन भी है,

फूलों की खुशबू से एक तान चेडना चाहता है॥

सूरज को छूने कि चाहत नहीं उसको,

बस हवा के थपेलों का लुफ्त लेना चाहता है।

हमेशा काम करने का इरादा है इसका,

क्योंकि मौत पर चैन से सोना चाहता है॥

मंज़िल ना मिले! उसकी चाहत ही कहाँ है,

बस राहियों के साथ कुछ गुनगुनाना चाहता है।

इस दुनिया कि जुबान में उसे बोलना नहीं आता,

बस दिल की बात किसी को कहना चाहता है।

कहीं किसी और को सुनना चाहता है,

कहीं जाना चाहता है, कहीं रहना चाहता।।




Saturday, October 24, 2009

"Life is about achieving, its not about Achievements.."

"Achievement might not give happiness, but being happy is the biggest achievement of life.."

कुछ पा लेना ज़िन्दगी नहीं, कुछ पाने की चाहत और उस पर लगने वाली मेहनत का नाम ज़िन्दगी है। पा लेने का बाद कभी कभी सोचना पडता है की आगे क्या करें, अकसर मकसद खो जाता है, इसलिए सफर के मजे लो, और जब ज़िन्दगी खत्म हो, तब एक बार पीछे मुड के देखना, बहुत सारी मंजिलें साथ दिखेंगी। कुछ ऐसे पल जिन्हें तुम फिर से जीना चाहो, कुछ पल जिनके लिए तुम एक बार और मरना चाहो। अपनी ज़िन्दगी को हँसी खुशी के साथ जीने और हर हमराही के साथ वक्त बिताते हुए चलना ही सही मायने में जिन्दगी है, ज़िन्दगी की मंजिल है। उसे पाओ......

कुछ शायरी..!!! आप्के लिये..!!

चाहत पर किसी की ऐतबार ना करना,
किसी की याद में दिल बेकरार ना करना,
दिल टूट के सीने में दुखता है बहुत,
सपनों में रहकर कभी प्यार ना करना ॥

चोट खा के ज़िन्दगी में पछता रहे हैं,
खो के रास्ते में चले जा रहे हैं,
स्पने पे ऐतबार किया जो अपना बन ना सका ,
वो धुन गुनगुना रहे हैं, जो गीत बन ना सका॥

इंतज़ार, ऐतबार, तकरार, बरकरार है,
मेरे अन किये इज़हार पर लाखों इंतज़ार है,
प्यार को बता के दोस्ती हम रुस्वाइयाँ बचाते हैं,
और एक परवाने की तरह समा में जल जाते हैं॥

गहराइयों को किनारे कहाँ मिलते हैं,
जमीन को सितारे कहाँ मिलते हैं,
टूट जाते हैं जो दिल किसी की तस्वीर से,
उस दिल को सहारे कहाँ मिलते हैं॥

Thursday, August 27, 2009

तुम और मैं..!!

तुम फूल, मैं फूलदान हूँ,

तुम राशन, मैं उसकी दुकान हूँ,

तुम आत्मा, मैं इंसान हूँ,

तुम गदा, मैं हनुमान हूँ।

मेरी हर नज़र में तुम हो,

मेरी हर खबर में तुम हो,

हम मर भी गए तो हँसते-हँसते दफन हो जायेंगे,

बस इतना बता देना की उस कबर में तुम हो ।

बरसते हुए बादल में तुम हो,

नाच रहे हर पागल में तुम हो,

काले इस काजल में तुम हो,

खा रहा उस चावल में तुम हो।

मेरी हर एक आदत में तुम हो,

मुझ में बसी शराफत में तुम हो,

आने वाली कयामत में तुम हो,

खुदा कि इबादत में तुम हो।

मेरे हर एक एहसास में तुम हो,

ले रहा हूँ उस सास में तुम हो,

मेरी हर धडकन में तुम हो,

मेरे दिल, मेरे मन में तुम हो,

इस आँगन में बसी तुम हो,

बरस रहे इस सावन में तुम हो,

इस कायनात के हर कण में.......

तुम हो, तुम हो, बस तुम हो.......








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